मो० ताहिर अहमद वारसी
इटौंजा। उत्तर प्रदेश हो या केंद्र भाजपा शासन में भले ही भ्रष्टाचार मुक्त भारत जैसे वादे किए गए हो परंतु आज भी उत्तर प्रदेश में न्याय बहुत महंगा है। क्योंकि भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों के आगे शासन के आदेश और पीड़ित के प्रार्थना पत्र कोई मायने नहीं रखते। ज्यादा दबाव के बाद मात्र हाथ लगती है तो सिर्फ जांच जोकर पूरी हो या कौन करे जांच यह वही तय करते हैं जो खुद जांच में फंसने वाले हैं। ऐसे में जांच कितनी निष्पक्ष हो सकती है यह सभी जानते हैं। सरकारी तंत्र का निर्माण जनता को न्याय दिलाने के लिए किया गया था परंतु जब सरकारी तंत्र ही भू माफियाओं और पूंजीपतियों के समर्थन में उतर आए तो गरीबों को न्याय की उम्मीद छोड़ देनी पड़ती है।
देहातों में कहावत कही जाती थी कि “अफसर की अदाढ़ी और घोड़े की पिछाड़ी से हमेशा बचना चाहिए” आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसी कहावत अनुसार चलते हैं परंतु जब अन्नदाता के पेट पर लात पड़ती है तो वह मजबूर होकर अफसर के सामने हाथ जोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है। इसी क्रम में नीलांश वाटर पार्क इटौंजा द्वारा दर्जनों किसानों ने जमीन कब जाने का आरोप लगाते हुए एसडीएम मलिहाबाद को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई।
परंतु सोचनीय है कि इतनी बड़ी भूमि पर कब्जा कर पार्क निर्माण हो जाने का महीना गुजर जाने के बाद भी अधिकारियों तक कोई प्रार्थना पत्र आखिर क्यों नहीं पहुंचा। या अगर पहुंचा तो आखिर वह कहां गया और उस पर अब तक कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। प्रार्थना पत्र लेकर गए हुए किसानों में नन्हे सिंह ने बताया साहब आज के समय में न्याय बहुत महंगा है। हम गरीब कहां से पैसा लाएं जितना हम एक फसल बेचकर नहीं कमा पाते उतना तो पार्क मालिक चंद दिनों में कमा लेते हैं।
इनके सामने मुकदमा लड़ने की हमारी औकात नहीं। शिकायती पत्र लेकर पहुंचे किसानों मैं रामकरण, मल्हर,पोखई,श्याम,मुन्ना,कल्लू, दन्ना, सीताराम आदि दर्जनों किसानों ने बताया कि उनकी जमीन मलिहाबाद तहसील क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत बदैया व कमालपुर,लोधौरा तथा टिकरी मे है। जिस पर नीलांश वाटर पार्क मालिक सतीश श्रीवास्तव ने गोमती नदी के किनारे से बाउंड्री वाल उठाकर कब्जा कर रखा है। जिसमें ग्राम पंचायत की भी सरकारी भूमि शामिल है।
किसानों ने आरोप लगाया कि किसी को कब्जे की भूमि के आसपास नहीं जाने दिया जाता जिससे किसानों में भय व्याप्त है। किसानों ने उप जिलाधिकारी मलिहाबाद विकास कुमार सिंह से मिलकर अपनी जमीन खाली कराने की मांग की। किसानों ने बताया ग्राम बदैया मे स्थित गाटा संख्या 207रकबा0.073व गाटा संख्या 1031रकबा0.202व ग्राम टिकारी कलां में गाटा संख्या 201रकबा0.079,गाटा संख्या 1022रकबा 0.025आदि गाटा संख्या की पैमाइश करा कर इन पूजी पतियों से जमीन वापस दिलाई जाए।
उ०प्र०का योगी राज हो या केन्द्र का मोदी राज दोनों ने देश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त भारत देने का वादा किया था।परंतु सरकारें बदलती है कर्मचारी नही और फिर गाँव देहात मे कौन किसके हाल पूछने जाता है ।आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में भू माफियाओं का बोलबाला है। मोटी रकम चढ़ाकर भूमाफिया आज भी सरकारी एवं गरीबों की जमीनों पर आसानी से कब्जा कर लेते हैं। फिर गरीब को अधिकारियों से सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं। गांव के ही एक व्यक्ति ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि यहां गांव में सरकारी भूमि पर खोटा डालने पर लेखपाल सही सरकारी अमला मौके पर पहुंच जाता है।
और वाटर पार्क मालिक द्वारा गोमती नदी की तलहटी तक कब जाने के बाद भी कोई अधिकारी झांकने तक नहीं आया सभी पूंजीपतियों के हाथों बिक चुके हैं।व इससे वाटर पार्क मालिक सतीष रुची बहुत और पैसे की ताकत का अनुमान लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में न्याय जितना महंगा है कि यह मजदूरी करने वाले न्याय पाने में सक्षम नहीं हैं जांच भी उसी लेखपाल और पटवारी के हाथ आएगी जो पहले वहां झांकने तक नहीं आया। बड़ी बिल्डिंगों में बैठकर जांच हो जाएगी सब बराबर हो जाएगा। रामराज्य मात्र नेताओं की जुबानों तक सीमित है। लगभग 1 माह गुजर जाने के बाद भी नीलांश वाटर पार्क के मालिक हुआ किसानों एवं सरकारी हड़पी गई जमीन पर संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई भी उचित कार्रवाई न किए जाने से अधिकारियों की छवि शंका के घेरे में है।